उत्तराखंड की चारधाम यात्रा के दौरान चाय से लेकर चौपर से भ्रमण तक का व्यवसाय होता है। इन यात्रा धामों में आमतौर पर प्रसाद हो या फूल सब बाहर से मंगाए जाते हैं। हालांकि बदरीनाथ में महिला स्वयं सहायता समूहों ने चौलाई के लड्डू और अन्य स्थानीय उत्पादों से बने प्रसाद (जिसे पंच बदरी प्रसादम नाम दिया) की बिक्री कर 35 लाख रुपये का शुद्ध लाभ अर्जित कर एक उदाहरण पेश किया है। साथ ही संदेश भी दिया कि पहाड़ की पवित्र भूमि में उत्पादित पवित्र अनाजों और फूलों से भी कमाई की जा सकती है। गौरतलब है कि प्रसाद की सामग्री शुद्ध जैविक उत्पाद की थी। प्रसाद से आर्थिक मजबूती का यह प्रयोग उदाहरण के रूप में लिया जा सकता है। बदरीनाथ धाम में इस बार पंच बदरी प्रसादम विक्रय केंद्र खोला गया। इस केंद्र को जोशीमठ विकास खंड की स्वयं सहायता समूह चला रही थी। प्रशासन ने समूहों को काउंटर उपलब्ध कराये। बदरीनाथ आने वाले यात्रियों ने प्रसाद के इन पैकेटों को श्रद्धापूर्वक खरीदा। प्रसादम में चौलाई के लड्डू, माणा के निकट बहती सरस्वती नदी का पवित्र जल, मासी की धूप और तुलसी की माला थी। मुख्य विकास अधिकारी हंसादत्त पांडे ने बताया कि पंच बदरी प्रसादम के अंतर्गत पंच बदरी काउंटर से आठ लाख , एसएचजी सप्लाई काउंटर से पांच लाख , एसएचजी सेलिंग लड्डू प्रसाद आफ माणा से चार लाख, एसएचजी सेलिंग सरस्वती नदी जल से तीन लाख, एसजीएच पंच शॉप से तीन लाख, एसजीएच सेलिंग तुलसी माला बदरीनाथ से आठ लाख रुपये की बिक्री हुई। इस तरह इन समूहों को कुल 34 लाख 17 हजार रुपये प्राप्त हुए। इन स्वयं सहायता समूहों में 225 महिलाएं शामिल थीं।
महिला समूहों ने प्रसाद बेचकर कमाए 35 लाख